शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

!! नरेन्द्र मोदी जी का पत्नी विवाद क्या है ??

महक गोएल....
जशोदा भाभी मोदी

साभार: श्री भरोडिया(नरेंद्र भाई के बचपन के मित्र)



ये बच्चा मुश्किल से १५-१६ सालका रहा होगा तब भारत-पाक की लडाई छीड गई । प्रधानमंत्री लाल बाहादुर शास्त्रीने मोरचा संभाला । देश का हौसला बढाने के लिए नारा दिया ” जय जवान, जय किसान ” ईस नारे पर देश भर के सेवाभावी लोग, सेवाभावी संस्थाएं, खडे हो गये । आर.एस.एस भी उनमें से एक संस्था थी । लडाई के समय गुजरात के हर रोड पर, हर स्टेशन पर युवा लडके तैनात हो गये थे जरूरी साधन सामग्री ले कर । अगर सैनिकों का जथ्था, उन की गाडियां गुजरती है तो उन्हें जो मदद चाहिए मिल सके । ये बच्चा भी उन युवाओं के साथ स्टेशन के प्लेटफोर्म पर भागता फिरता था ।
वो जमाना आज के मुकाबले अलग था ।


उस जमाने में माबाप के आगे बच्चों का कुछ नही चलता था । अगर बच्चा विद्रोह भी करता तो माबाप तो बाजुमें रहते सारे गांव के चाचे ताउ कान खिंचने लग जाते । बच्चे सब की ईज्जत करते थे तो मजबूर हो जाते थे, बडों की बात मानने के लिए । इसी आधार पर मा बापने जशोदाभाभी से उनका ब्याह करवा दिया,१९६८ में । लेकिन देश सेवा की ईतनी लगन लगी थी की ईसने जशोदाभाभी का स्विकार (गौना नही करवाया , असली शादी गौना होता था, इससे पहले लडके लडकी एक दुसरे का मुह भी नही देखते ) नही किया, चल पडे घर छोड कर ।


पिता भारत और मां भारती की सेवा के लिए अपने खूद के माबाप की भावना को ठेस पहुंचाया । ये किशोरावस्था थी, जहां आदमी दोराहे पे खडा होता है । उसने बडी राह, देशसेवा की राह पकडली । इसी दौरान पोलिटिकल सायन्स की डिग्री हासिल कर ली । आर.एस.एस के प्रचारक भी बन गया । आज भारत के कितने नेता के पास पोलिटिकल सायन्स की सामान्य डिग्री भी है ?



जब ईस बच्चे का नरेन्द्रभाई मोदी के नाम से जनता को परिचय हुआ तो एक गुजराती मेगेजीन (१९८४) में जशोदाभाभी का ईन्टर्व्यु छपा था । उसमें तस्विर थी, भाभी अपने पिताजी की किराने की दुकानमें हाथमें तराजु लिए बैठी थी, काफी खूश दिखती थी । बताती थी वो मुझे बुलायेंगे तब जाउंगी तबतक पिता की दुकानमें मदद करुंगी, मेरा भाई अशोक अभी छोटा है । लेकिन अब पता चला है भाभीने टिचरकी नौकरी कर ली थी, अब रिटायर्ड भी हो गई है और १०००० का पेन्शन भी मिलता है । एक सच्ची भारतिय नारी की तरह पति के बुलावे का ईन्तजार करती रही, पति के खिलाफ खभी नही बोली । मोदी के कारण ही उस के आसपास के लोग, अपनी स्कूल, पूरा रसोसणा गांव उस का मान सम्मान करता रहा हैं । लोगोने हर तरह की मदद की है, तकलिफ नही पडने दी है ।



२००७ में नरेन्द्रभाई के साले साबह अशोकभाईने कोशीश की दीदी और जीजा को मिलाने की लेकिन सफलता नही मिली । मोदी का कहना है के मेरा २४ घंटा सिर्फ देश के लिये ही है । ५ मिनिट भी मै किसी सगे को नही दे सकता । बात भी सही है । अपनी मां के अलावा उसे कोइ सगा मिल नही सकता, अपने सगे भाई भी नही । उन के सगे चचेरे भाई को मैंने कहा था तू अब नरेंद्रभाई के पास चला जा कहीं अच्छी जगह सेट कर देंगे मैं ईस मंदी मे कितना पगार दे देता हुं । उसने मुझे बताया छोडो सब । वो चले गए उस के बाद मेरा जनम हुआ है । मैंने भी उन्हें एक ही बार देखा है । उन्होंने मुझे देखा है की नही मालुम नही । अपने भाई को भी घुसने नही देते तो मै क्यों जाउ ।
उस की बात सही थी । मोदी गांव छोडकर गये तो किसी को पता नही था वो कहां है । कहा जाता है वो सिर्फ दो बार गांव आये हैं । एक बार पिता के अवसान के समय और दुसरी बार स्कूल की निव रखने के कार्यक्रम के लिए । उस समय भीड में उनकी छोटी बेहन भी उन्हें देखने आई थी, पास जानेकी हिम्मत नही कर पाई थी । मोदीने देख लिया या किसीने ध्यान दिलाया तो वो खूद उसके पास गये और हालचाल पूछ लिया ।



जब मोदी पहलीबार मुख्यमंत्री बने तो उनका ही बचपन का दोस्त उन पर उबल पडा था । ” ये घांची अब तक लुक्खे की तरह भटकता था तो घर नही चला सकता था, अब नेता हो गया है, अब क्या कमी है, अब बहु को बुला लेना चाहिए ” । ये एक आम आदमी की आवाज थी । आम आदमी सोचता है की नेता बनते ही पैसे का पेड लग जाता है । बस अब उसे खा-पिकर राज करना है । आम नेता के लिए ये सही बात होगी मोदी के लिए नही ।



उन के तलाक के लिए भी सवाल उठे हैं । तलाक ईस लिए लिया जाता है की आदमी दूसरी शादी कर के जीवन में सेट हो सके । ईन की उमर थी तलाक ले के दूसरी शादी की तब शादी और तलाक का सारा मामला सामाजिक तरिके से होता था । तलाक में कभी कानून का दखल नही होता था । दोनों पक्ष के १०-१२ आदमी मिलकर तलाक दे देते थे । ये जिम्मेदारी माबाप की होती थी, तलाक लेनेवालों की नही । लेकिन समाज वकिल का बाप होता है राह देखता है बच्चों का मन बदलने का । उसे समजाने में टाईम पास कर देता है ।
लेकिन इस दौरान ये पतिपत्नी समाज से आगे बढ गए । भाभीने ठान लिया की मैं तलाक नही लुंगी । मरते दमतक नरेन्द्र ही मेरा पति रहेगा । और नरेन्द्रभाई भी मजबूर है । देश सेवा का ईतना बडा भार उठा लिया है की २४ घंटे में से ५ मिनट भी वो भाभी या अन्य सगे को नही दे सकते । भाभी भी ये समज चुकी है । देश के लिये आदमी मर जाता है तो ये तो सिर्फ पति का वियोग ही है ।
.


अपने घर संसार की बली, भाभी जी के अरमानों की बली, अपने ही संबंधियो से बेरुखी । ये सब नरेंद्र मोदीने किया है । उनका केरेक्टर ढिला है या मजबूत तय जनता करगी, कोंग्रेस या दिग्गी राजा नही ।


नरेंद्रभाई आज जीस स्थान पर खडे हैं उन के पिछे वो पतिपत्नि का त्याग बहुत बडी भुमिका निभा चुका है । उन के निजी जीवन में हमारा कोइ अधिकार नही बनता दखल देने का । मिडिया में ये बात को गलत अंदाज में उछाला गया तो ये लिखना पडा ।
http://bharodiya.jagranjunction.com/2012/11/01/%E0%A4%9C%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A5%80/
जशोदा भाभी मोदी



साभार: श्री भरोडिया(नरेंद्र भाई के बचपन के मित्र)







ये बच्चा मुश्किल से १५-१६ सालका रहा होगा तब भारत-पाक की लडाई छीड गई । प्रधानमंत्री लाल बाहादुर शास्त्रीने मोरचा संभाला । देश का हौसला बढाने के लिए नारा दिया ” जय जवान, जय किसान ” ईस नारे पर देश भर के सेवाभावी लोग, सेवाभावी संस्थाएं, खडे हो गये । आर.एस.एस भी उनमें से एक संस्था थी । लडाई के समय गुजरात के हर रोड पर, हर स्टेशन पर युवा लडके तैनात हो गये थे जरूरी साधन सामग्री ले कर । अगर सैनिकों का जथ्था, उन की गाडियां गुजरती है तो उन्हें जो मदद चाहिए मिल सके । ये बच्चा भी उन युवाओं के साथ स्टेशन के प्लेटफोर्म पर भागता फिरता था ।

वो जमाना आज के मुकाबले अलग था । 





उस जमाने में माबाप के आगे बच्चों का कुछ नही चलता था । अगर बच्चा विद्रोह भी करता तो माबाप तो बाजुमें रहते सारे गांव के चाचे ताउ कान खिंचने लग जाते । बच्चे सब की ईज्जत करते थे तो मजबूर हो जाते थे, बडों की बात मानने के लिए । इसी आधार पर मा बापने जशोदाभाभी से उनका ब्याह करवा दिया,१९६८ में । लेकिन देश सेवा की ईतनी लगन लगी थी की ईसने जशोदाभाभी का स्विकार (गौना नही करवाया , असली शादी गौना होता था, इससे पहले लडके लडकी एक दुसरे का मुह भी नही देखते ) नही किया, चल पडे घर छोड कर । 





पिता भारत और मां भारती की सेवा के लिए अपने खूद के माबाप की भावना को ठेस पहुंचाया । ये किशोरावस्था थी, जहां आदमी दोराहे पे खडा होता है । उसने बडी राह, देशसेवा की राह पकडली । इसी दौरान पोलिटिकल सायन्स की डिग्री हासिल कर ली । आर.एस.एस के प्रचारक भी बन गया । आज भारत के कितने नेता के पास पोलिटिकल सायन्स की सामान्य डिग्री भी है ?







जब ईस बच्चे का नरेन्द्रभाई मोदी के नाम से जनता को परिचय हुआ तो एक गुजराती मेगेजीन (१९८४) में जशोदाभाभी का ईन्टर्व्यु छपा था । उसमें तस्विर थी, भाभी अपने पिताजी की किराने की दुकानमें हाथमें तराजु लिए बैठी थी, काफी खूश दिखती थी । बताती थी वो मुझे बुलायेंगे तब जाउंगी तबतक पिता की दुकानमें मदद करुंगी, मेरा भाई अशोक अभी छोटा है । लेकिन अब पता चला है भाभीने टिचरकी नौकरी कर ली थी, अब रिटायर्ड भी हो गई है और १०००० का पेन्शन भी मिलता है । एक सच्ची भारतिय नारी की तरह पति के बुलावे का ईन्तजार करती रही, पति के खिलाफ खभी नही बोली । मोदी के कारण ही उस के आसपास के लोग, अपनी स्कूल, पूरा रसोसणा गांव उस का मान सम्मान करता रहा हैं । लोगोने हर तरह की मदद की है, तकलिफ नही पडने दी है ।







२००७ में नरेन्द्रभाई के साले साबह अशोकभाईने कोशीश की दीदी और जीजा को मिलाने की लेकिन सफलता नही मिली । मोदी का कहना है के मेरा २४ घंटा सिर्फ देश के लिये ही है । ५ मिनिट भी मै किसी सगे को नही दे सकता । बात भी सही है । अपनी मां के अलावा उसे कोइ सगा मिल नही सकता, अपने सगे भाई भी नही । उन के सगे चचेरे भाई को मैंने कहा था तू अब नरेंद्रभाई के पास चला जा कहीं अच्छी जगह सेट कर देंगे मैं ईस मंदी मे कितना पगार दे देता हुं । उसने मुझे बताया छोडो सब । वो चले गए उस के बाद मेरा जनम हुआ है । मैंने भी उन्हें एक ही बार देखा है । उन्होंने मुझे देखा है की नही मालुम नही । अपने भाई को भी घुसने नही देते तो मै क्यों जाउ ।

उस की बात सही थी । मोदी गांव छोडकर गये तो किसी को पता नही था वो कहां है । कहा जाता है वो सिर्फ दो बार गांव आये हैं । एक बार पिता के अवसान के समय और दुसरी बार स्कूल की निव रखने के कार्यक्रम के लिए । उस समय भीड में उनकी छोटी बेहन भी उन्हें देखने आई थी, पास जानेकी हिम्मत नही कर पाई थी । मोदीने देख लिया या किसीने ध्यान दिलाया तो वो खूद उसके पास गये और हालचाल पूछ लिया ।







जब मोदी पहलीबार मुख्यमंत्री बने तो उनका ही बचपन का दोस्त उन पर उबल पडा था । ” ये घांची अब तक लुक्खे की तरह भटकता था तो घर नही चला सकता था, अब नेता हो गया है, अब क्या कमी है, अब बहु को बुला लेना चाहिए ” । ये एक आम आदमी की आवाज थी । आम आदमी सोचता है की नेता बनते ही पैसे का पेड लग जाता है । बस अब उसे खा-पिकर राज करना है । आम नेता के लिए ये सही बात होगी मोदी के लिए नही ।







उन के तलाक के लिए भी सवाल उठे हैं । तलाक ईस लिए लिया जाता है की आदमी दूसरी शादी कर के जीवन में सेट हो सके । ईन की उमर थी तलाक ले के दूसरी शादी की तब शादी और तलाक का सारा मामला सामाजिक तरिके से होता था । तलाक में कभी कानून का दखल नही होता था । दोनों पक्ष के १०-१२ आदमी मिलकर तलाक दे देते थे । ये जिम्मेदारी माबाप की होती थी, तलाक लेनेवालों की नही । लेकिन समाज वकिल का बाप होता है राह देखता है बच्चों का मन बदलने का । उसे समजाने में टाईम पास कर देता है ।

लेकिन इस दौरान ये पतिपत्नी समाज से आगे बढ गए । भाभीने ठान लिया की मैं तलाक नही लुंगी । मरते दमतक नरेन्द्र ही मेरा पति रहेगा । और नरेन्द्रभाई भी मजबूर है । देश सेवा का ईतना बडा भार उठा लिया है की २४ घंटे में से ५ मिनट भी वो भाभी या अन्य सगे को नही दे सकते । भाभी भी ये समज चुकी है । देश के लिये आदमी मर जाता है तो ये तो सिर्फ पति का वियोग ही है ।

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अपने घर संसार की बली, भाभी जी के अरमानों की बली, अपने ही संबंधियो से बेरुखी । ये सब नरेंद्र मोदीने किया है । उनका केरेक्टर ढिला है या मजबूत तय जनता करगी, कोंग्रेस या दिग्गी राजा नही ।





नरेंद्रभाई आज जीस स्थान पर खडे हैं उन के पिछे वो पतिपत्नि का त्याग बहुत बडी भुमिका निभा चुका है । उन के निजी जीवन में हमारा कोइ अधिकार नही बनता दखल देने का । मिडिया में ये बात को गलत अंदाज में उछाला गया तो ये लिखना पडा ।

http://bharodiya.jagranjunction.com/2012/11/01/%E0%A4%9C%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A4%BE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A5%80/

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