गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

!! मुर्ख से बहस करना सबसे बड़ी मुर्खता है !!

जीवन में बहस अनिवार्य है। हमें तो बस यह देखना है कि हम किन बातों पर बहस करते हैं और अपनी बात किस तरीके से रखते हैं। हाल ही में मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी दावा किया है कि सार्थक बहस आपकी सेहत के लिए अच्छी होती है। इसकी वजह साफ है। पत्नी हो बॉस, या और कोई रिश्ता- अगर उनसे कोई असहमति है, तो वह तनाव बढ़ाती है। तनाव में स्रावित होने वाला कार्टिसोल हार्मोन दिल और गुर्दो पर ...बुरा असर डालता है।
इसके साथ ही, हमेशा ध्यान रखें कि बेअक्ल से बहस करना फिजूल है। कई बार जब आपको लगे कि आप किसी बेवकूफ के साथ बहस कर रहे हैं, तो उस समय अगला व्यक्ति भी किसी बेवकूफ के साथ ही बहस कर रहा होता है। इसलिए दुनियादारी यही कहती है कि जल्दी से जल्दी सामने वाले व्यक्ति के मानसिक स्तर की पहचान कर लें। यह रिश्तों से इतर बात है। दैनिक जीवन में हमें कई बार घर से बाहर भी तर्क करना पड़ता है। ऎसे में देख लें कि कहीं आप किसी पत्थर से तो सिर नहीं टकरा रहे हैं, क्योंकि ऎसे में नुकसान आपका ही होगा। बददिमाग, स्तरहीन व्यक्ति से भिड़ने पर जगहंसाई आपकी ही होगी, जो बहस हार जाने की तुलना में ज्यादा दुखदायी है।
बहस करने से पहले, बहस के दौरान या अंतिम क्षणों में- कभी भी, हमेशा बाल्तेसर ग्रेशियन की बात ध्यान में रखें। प्रसिद्ध रणनीतिज्ञ व कूटनीतिज्ञ ग्रेशियन का कहना था कि किसी भी बहस में महज इसलिए गलत पक्ष से न चिपके रहें, क्योंकि आपका विरोधी सही पक्ष में है। मतलब साफ है कि सिर्फ विरोधी को नीचा दिखाने के लिए बहस न करें।

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